पृष्ठभूमि

परिवार और समाज के सहयोग से, व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और जीवन-यापन करने की क्षमता विकसित होती है। व्यक्ति परिवार और समाज का ऋणी होता है, जिसे चुकाना उसका परम कर्तव्य है। परिवार-समाज से जुड़कर समाज-सेवा सफल जीवन का नैतिक दायित्व है। सभ्यता- संस्कृति की पीढ़ी-दर-पीढ़ी निरंतरता, पारिवारिक और सामाजिक परंपराओ के निर्वहन से ही संभव होता है। समाज सेवा एक संस्कार है।  निःस्वार्थ सेवा करना उच्चतरीय मानवीय मूल्य है। परिवार और समाज के प्रति कर्तव्यनिष्ठा से व्यक्ति का जीवन खुशहाल होता है।

हम सभी के पूर्वज, अपने व्यक्तित्व और आदर्शों के धनी, श्री शिवप्रसाद पाण्डेय, श्री हरदेव पाण्डेय एवं श्री चंद्रदेव पाण्डेय, जीवन-पर्यन्त पारस्परिक प्रेम और सहयोग के साथ परिवार का विकास और सामाजिक कार्यों में योगदान करते रहे। उनके आदर्श सदा स्मरणीय एवं अनुसरणीय है । 24 नवम्बर, 2018 को छठ व्रत के अवसर पर, श्री ललन पाण्डेय की अध्यक्षता में परिवार के उपस्थित सदस्यों ने 'शिवप्रसाद हरदेव चंद्रदेव स्मृति सेवा न्यास' की स्थापना का सुविचारित निर्णय लिया। न्यास का उद्देश्य सामाजिक सेवा के माध्यम से पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करना है।

शिवप्रसाद हरदेव चन्द्रदेव स्मृति सेवा न्यास’ का रजिस्ट्रेशन 21 मई, 2019 को छपरा रजिस्ट्रेशन कार्यालय में सम्पन्न हुआ। बिहार सरकार के नियमानुसार, श्रीमती उर्मिला पाण्डेय, पत्नी श्री जनक पाण्डेय, तीन लाख रुपये दान देकर, न्यास की संस्थापिका न्यासी/ट्रस्टी हुईं। संस्थापिका न्यासी के निवेदन पर रजिस्ट्रेशन के दिन परिवार के निम्न उपस्थित सदस्य न्यासी और न्यास प्रबन्धन समिति के, श्री ललन पाण्डेय, अध्यक्ष, स्व. सच्चिदानन्द पाण्डेय, उपाध्यक्ष, श्री जनक पाण्डेय, सचिव, श्री नन्दकिशोर पाण्डेय, कोषाध्यक्ष, श्री मनीन्द्र कुमार पाण्डेय, उपसचिव तथा श्री बब्बन पाण्डेय, श्री राजकिशोर पाण्डेय और श्री जनार्दन पाण्डेय सदस्य हुए।

शिवप्रसाद हरदेव चन्द्रदेव स्मृति सेवा न्यास’ (रजिस्ट्रेशन नं.: द.स.42,पु.स.4,जि.स.1,487-502/दिनांक: 21/05/2019) की स्थापना, पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और उनके आदर्शों के अनुरूप सामाजिक सेवा की प्रतिबद्धता है। न्यास के उद्देश्यों एवं न्यास द्वारा संचालित कार्यक्रमों की समीक्षा के बाद, भारत सरकार ने न्यास को (U/s 12A & 80G of the IT Act, 1961 vide Unique Registration No. AAYTS6142HF20221) कर मुक्त किया है। न्यास के सदस्यों को दिये गये दान पर आयकर छूट का लाभ मिलता है।